कारवाँ गुजरता रहा और कोई तन्हा होता रहा..बेशकीमती लिबास पहने फ़कीर बन जीता रहा...कौन
था उस का जो यह कहता,आ दर्द बाँट लू मैं तेरा..सतरंगी दुनिया थी कभी उस की,आज सोने की थाली
मे भूखा सोता रहा..बहुत मतलबपरस्त है लोग यहाँ,कब चैन से जीने देते है..थाली सोने की भले हो,
मगर प्यार के दो बोल देने से कतराते है..
था उस का जो यह कहता,आ दर्द बाँट लू मैं तेरा..सतरंगी दुनिया थी कभी उस की,आज सोने की थाली
मे भूखा सोता रहा..बहुत मतलबपरस्त है लोग यहाँ,कब चैन से जीने देते है..थाली सोने की भले हो,
मगर प्यार के दो बोल देने से कतराते है..