बूंदे तो हज़ारो साल से बरस रही है यू ही...देती है कभी सपनो को उड़ान तो कभी तक़दीर ही बदल
देती है...कभी कोई गुमसुम सा बैठा,इन्ही बूंदो के साथ रोया करता है..तकलीफ मे देख उसे मन
हमारा भी कुछ सोचा करता है..''''बरखा कभी ऐसी भी आए गी जीवन मे तेरे,खिले गे फूल भी तब
गुलशन मे तेरे..तब तुझे मिलने आए गे इक हमदर्द की तरह...बरखा को करे गे शुक्रिया,जो बरस
रही है बरसो से यू ही'''... ..
देती है...कभी कोई गुमसुम सा बैठा,इन्ही बूंदो के साथ रोया करता है..तकलीफ मे देख उसे मन
हमारा भी कुछ सोचा करता है..''''बरखा कभी ऐसी भी आए गी जीवन मे तेरे,खिले गे फूल भी तब
गुलशन मे तेरे..तब तुझे मिलने आए गे इक हमदर्द की तरह...बरखा को करे गे शुक्रिया,जो बरस
रही है बरसो से यू ही'''... ..