Friday 28 June 2019

बूंदे तो हज़ारो साल से बरस रही है यू ही...देती है कभी सपनो को उड़ान तो कभी तक़दीर ही बदल

देती है...कभी कोई गुमसुम सा बैठा,इन्ही बूंदो के साथ रोया करता है..तकलीफ मे देख उसे मन

हमारा भी कुछ सोचा करता है..''''बरखा कभी ऐसी भी आए गी जीवन मे तेरे,खिले गे फूल भी तब

गुलशन मे तेरे..तब तुझे मिलने आए गे इक हमदर्द की तरह...बरखा को करे गे शुक्रिया,जो बरस

रही है बरसो से यू ही'''... ..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...