Sunday 23 June 2019

आज फिर चुपके से दस्तक दी तन्हाई ने..हम मुस्कुराते रहे और वो थी कि रुलाने पे आमदा थी..धीमे

से एहसास यह दिलाने लगी,कि कोई नहीं तेरा जो दूर तक साथ जाए गा..अकेले ही कदम बड़ा,अब

मेरा साथ ही तुझे भाए गा..क्यों मुस्कुरा रहे हो,जब कि जानते हो मेरे सिवा तेरा अब कोई भी नहीं..

सोचा,तन्हाई क्या सच कहती है..गज़ब है कि मुस्कुरा तो रहे है पर आंखे बहुत नम है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...