आज फिर चुपके से दस्तक दी तन्हाई ने..हम मुस्कुराते रहे और वो थी कि रुलाने पे आमदा थी..धीमे
से एहसास यह दिलाने लगी,कि कोई नहीं तेरा जो दूर तक साथ जाए गा..अकेले ही कदम बड़ा,अब
मेरा साथ ही तुझे भाए गा..क्यों मुस्कुरा रहे हो,जब कि जानते हो मेरे सिवा तेरा अब कोई भी नहीं..
सोचा,तन्हाई क्या सच कहती है..गज़ब है कि मुस्कुरा तो रहे है पर आंखे बहुत नम है...
से एहसास यह दिलाने लगी,कि कोई नहीं तेरा जो दूर तक साथ जाए गा..अकेले ही कदम बड़ा,अब
मेरा साथ ही तुझे भाए गा..क्यों मुस्कुरा रहे हो,जब कि जानते हो मेरे सिवा तेरा अब कोई भी नहीं..
सोचा,तन्हाई क्या सच कहती है..गज़ब है कि मुस्कुरा तो रहे है पर आंखे बहुत नम है...