किस ने क्या खोया,किस ने क्या पाया..ना अब सवाल है कही,ना कोई जवाब है..मद्धम मद्धम जब
जलता है दिया,रोशन फिर भी आस पास करता है...बुझाता है कोई जब उसे झटके से,दिया गिरने से
पहले उसी के दामन मे आग लगता है..झुलसने का एहसास होता है जब तक,तब तल्क सारा आशियाना
खाक हो जाता है..मगर बुझते बुझते दास्तां जलने की सब को सुना कर जाता है...
जलता है दिया,रोशन फिर भी आस पास करता है...बुझाता है कोई जब उसे झटके से,दिया गिरने से
पहले उसी के दामन मे आग लगता है..झुलसने का एहसास होता है जब तक,तब तल्क सारा आशियाना
खाक हो जाता है..मगर बुझते बुझते दास्तां जलने की सब को सुना कर जाता है...