पर्दे मे ना रहो,पर्दे से बाहर आ जाओ..दर्द को दिल मे ना भरो,दिल से निकाल फेको..दुनियां तो किसी
की भी नहीं,इस की गुस्ताखियों को माफ़ करो..जो कहे ज़मीर अपना,उसी की बात मान लो..दर्द सहते
सहते कही उम्र ना बीत जाए,ऐसा ना हो कोई साथी ही दूर चला जाए..वक़्त रहते जी ले अपनी खुशियां
क्या पता यह लम्हे फिर लौट के आए ना आए..
की भी नहीं,इस की गुस्ताखियों को माफ़ करो..जो कहे ज़मीर अपना,उसी की बात मान लो..दर्द सहते
सहते कही उम्र ना बीत जाए,ऐसा ना हो कोई साथी ही दूर चला जाए..वक़्त रहते जी ले अपनी खुशियां
क्या पता यह लम्हे फिर लौट के आए ना आए..