Monday, 17 June 2019

पर्दे मे ना रहो,पर्दे से बाहर आ जाओ..दर्द को दिल मे ना भरो,दिल से निकाल फेको..दुनियां तो किसी

की भी नहीं,इस की गुस्ताखियों को माफ़ करो..जो कहे ज़मीर अपना,उसी की बात मान लो..दर्द सहते

सहते कही उम्र ना बीत जाए,ऐसा ना हो कोई साथी ही दूर चला जाए..वक़्त रहते जी ले अपनी खुशियां

क्या पता यह लम्हे फिर लौट के आए ना आए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...