रहते है खुदा की इस धरती पे,उसी के रहमो-करम के साथ..बेशक हर नियामत नहीं मिली,मगर फिर
भी जी रहे है किसी देश की राजकुमारी के ठाठ के साथ..पलकों के शामियाने को जो गिराते है,रात
गहरा जाती है..सपनो की दुनियां मे मिल कर अपने राजकुमार से,वापिस इसी धरा पे लौट आते है..
आंख जो खुलती है, सुनहरे आँचल की तरह यह सुबह खिलती है...गुनगुनाते रहते है,फिर किसी देश
की राजकुमारी की तरह..
भी जी रहे है किसी देश की राजकुमारी के ठाठ के साथ..पलकों के शामियाने को जो गिराते है,रात
गहरा जाती है..सपनो की दुनियां मे मिल कर अपने राजकुमार से,वापिस इसी धरा पे लौट आते है..
आंख जो खुलती है, सुनहरे आँचल की तरह यह सुबह खिलती है...गुनगुनाते रहते है,फिर किसी देश
की राजकुमारी की तरह..