Saturday 29 June 2019

दरिया का आना और मौज को बहा कर ले जाना..अपने अस्तित्व को साथ लिए,दरिया को अपना लेना..

कौन कहता कि मौज प्यासी है अपने दरिया मे..प्यास का होना या ना होना,मगर दरिया को खुद से

बांधे रखना..दरिया की सच्चाई को जान कर भी,अनदेखा कर देना..कभी खफा होना,कभी खुद मे

गुमसुम हो जाना..दरिया सोचता रह जाए गा कि मौज ने क्या कुर्बान किया उस पर..जब तल्क़ समझे

गा,मौज तो बेखौफ दूर बहुत दूर निकल जाए गी...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...