प्रेम को खोज रहे है आज ग्रंथो मे...इस के हर रूप को ढूंढ रहे है इन ग्रंथो के हर पन्ने मे ...परिभाषा
परिशुद्ध प्रेम की ग़ल्त ना लिख बैठे,बार-बार खोजते है शब्द इन पाक पन्नो मे...हम विद्वान नहीं,बस
कुछ शब्दों के रचियता होते है कभी-कभी..कभी दर्द को तो कभी प्रेम की धारा को अपनी समझ से
उतार देते है इन पन्नो पे...इक छोटा सा ''सरगोशियां ग्रन्थ'' रचने की कोशिश मे,कुछ शब्द पाक ग्रंथो
से चुन लेते है..शायद किसी राधा-कृष्ण को ढूंढ पाए इस कलयुग मे,यह सोच कर प्रेम को उतारते
रहते है अपने इस ग्रन्थ के खाली पन्नो पे...
परिशुद्ध प्रेम की ग़ल्त ना लिख बैठे,बार-बार खोजते है शब्द इन पाक पन्नो मे...हम विद्वान नहीं,बस
कुछ शब्दों के रचियता होते है कभी-कभी..कभी दर्द को तो कभी प्रेम की धारा को अपनी समझ से
उतार देते है इन पन्नो पे...इक छोटा सा ''सरगोशियां ग्रन्थ'' रचने की कोशिश मे,कुछ शब्द पाक ग्रंथो
से चुन लेते है..शायद किसी राधा-कृष्ण को ढूंढ पाए इस कलयुग मे,यह सोच कर प्रेम को उतारते
रहते है अपने इस ग्रन्थ के खाली पन्नो पे...