Saturday 25 April 2020

यह महक तेरे प्यार की आज...बहुत जयदा क्यों आ रही है...देखते है इधर-उधर मगर यह तो तेरे यहाँ

से आ रही है...बंद है दरवाजे और तमाम खिड़कियां,फिर भी यह क्यों मन मेरा महका रही है...गज़ब

है यह प्यार का रैला भी..दिखता तो कुछ भी नहीं मगर चारों तरफ खुशबुओं के ढेले है..रोक ले जरा इस

प्यार की तेज़ महक को..कि रात का माहौल है और हम को जोरों की नींद आने को है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...