Friday, 24 April 2020

गहराने को है रात मगर शाम फिर भी याद आती है...सुबह की धूप और रात के अँधेरे से पहले का समा..

हमारी खूबसूरत वजहों की खास वजह होती है...ढलता हुआ सूरज जब भी जाने को होता है,हम को उस

मे अक्सर इक उम्मीद नज़र आती है...वो उम्मीद जो हमारे जीने की वजह बन जाती है..यह सूरज बार-बार

यू ही ढलता रहे और हम को हमारी उम्मीद के करीब रखे...सराहे गे इस चाँद को भी कि इस को जाना है

सुबह और सूरज को फिर आना है..वही सूरज जिस के ढलने से पहले हमारी उम्मीद सांस लेती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...