गहराने को है रात मगर शाम फिर भी याद आती है...सुबह की धूप और रात के अँधेरे से पहले का समा..
हमारी खूबसूरत वजहों की खास वजह होती है...ढलता हुआ सूरज जब भी जाने को होता है,हम को उस
मे अक्सर इक उम्मीद नज़र आती है...वो उम्मीद जो हमारे जीने की वजह बन जाती है..यह सूरज बार-बार
यू ही ढलता रहे और हम को हमारी उम्मीद के करीब रखे...सराहे गे इस चाँद को भी कि इस को जाना है
सुबह और सूरज को फिर आना है..वही सूरज जिस के ढलने से पहले हमारी उम्मीद सांस लेती है...
हमारी खूबसूरत वजहों की खास वजह होती है...ढलता हुआ सूरज जब भी जाने को होता है,हम को उस
मे अक्सर इक उम्मीद नज़र आती है...वो उम्मीद जो हमारे जीने की वजह बन जाती है..यह सूरज बार-बार
यू ही ढलता रहे और हम को हमारी उम्मीद के करीब रखे...सराहे गे इस चाँद को भी कि इस को जाना है
सुबह और सूरज को फिर आना है..वही सूरज जिस के ढलने से पहले हमारी उम्मीद सांस लेती है...