Thursday 23 April 2020

इतनी लम्बी ख़ामोशी और सितारों का झुरमुट है गहरा...सो जाए गी रात भी धीरे-धीरे,पर इन अँखियो

से नींद उड़ जाए गी..खुली अँखिया सपने देखे गी मगर सोने से फिर भी डरे गी..किताबी चेहरा है तेरा,

बस रात भर तुझी को पढ़े गी...जैसे कभी हम को पढ़ा था किसी ने,किताबी पन्नो की तरह..आज बाज़ी

उलटी है..खुली और बंद अँखियो से पढ़े गे उस किताब को,जो इम्तिहान कल हमारा ले गी...अब फेल

होंगे या पास,यह तो सितारों के झुरमुट से कभी जाने गे..मगर बात तो जागने की है,रात सो रही है

धीरे-धीरे मगर अँखियो को नींद कहां आने वाली है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...