Thursday 23 April 2020

वो प्यार बेशुमार था या इश्क का जनून था...वो हुस्न बेमिसाल था या दोनों रूहों का मिलाप था..देह तो

सिर्फ देह थी और चेहरे इक पहचान थे.. तड़प जब पैदा हुई,आंसुओ का आना इबादत और ईमान था...

छुआ नहीं कभी मगर, सर से पांव तक दोनों का एक ही नाम था...एक रूप एक ही रंग,क्या उन मे कोई

एक राधा तो दूजा श्याम था...वो गहरे नैन जो कभी बोले नहीं..मगर समझने के लिए दूजे के नैन मशहूर

थे...यक़ीनन,वो प्यार बेशुमार था..इश्क का गहरा जनून था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...