यादों का झरोखा और आप...कुछ खुशनुमा बाते और आप...दिल को छूने की कला और आप..कभी
दिल तोड़ने की सज़ा और आप..पल मे तोला और पल मे माशा,यही तो है आप...नाक के नोक पे हर
वक़्त गुस्सा रहना और महीनों बात ना करना...तक़रीर हमारी एक ना सुनना..वाह क्या गज़ब मुहब्बत
है...इस से तो नफरत भली जो दिखाई तो देती है..मगर यह गुस्सा असली है या फिर नकली,इस बात
की ही तो दुहाई है...
दिल तोड़ने की सज़ा और आप..पल मे तोला और पल मे माशा,यही तो है आप...नाक के नोक पे हर
वक़्त गुस्सा रहना और महीनों बात ना करना...तक़रीर हमारी एक ना सुनना..वाह क्या गज़ब मुहब्बत
है...इस से तो नफरत भली जो दिखाई तो देती है..मगर यह गुस्सा असली है या फिर नकली,इस बात
की ही तो दुहाई है...