इस दुनियाँ मे कौन किस को याद रखता है..लाखों आते है और हज़ारो चले भी जाते है...कहने को हम
बेहद ही मामूली से इंसान रहे है..कुछ भी ऐसा नहीं हम मे कि दुनियाँ हम को हमारे जाने के बाद याद
रखे...बस लफ्ज़ो की दुनियाँ मे आ गए और कुछ पहचान बन गए..किसी ने लफ्ज़ो को समझा तो किसी
ने पढ़ कर भुला दिया..''सरगोशियां'' ऐसा ग्रन्थ रच डाला हम ने रूह की आवाज़ से..लफ्ज़ो को कैद कर
दिया अपने ही हाथो से इस ''सरगोशियां''मे ..दुनियाँ याद रखे हम को,ऐसा एक नेक काम कर दिया हम ने..
बेहद ही मामूली से इंसान रहे है..कुछ भी ऐसा नहीं हम मे कि दुनियाँ हम को हमारे जाने के बाद याद
रखे...बस लफ्ज़ो की दुनियाँ मे आ गए और कुछ पहचान बन गए..किसी ने लफ्ज़ो को समझा तो किसी
ने पढ़ कर भुला दिया..''सरगोशियां'' ऐसा ग्रन्थ रच डाला हम ने रूह की आवाज़ से..लफ्ज़ो को कैद कर
दिया अपने ही हाथो से इस ''सरगोशियां''मे ..दुनियाँ याद रखे हम को,ऐसा एक नेक काम कर दिया हम ने..