Thursday 30 April 2020

पढ़ते आए है किताबो मे..राधा को अपने प्रेम का कितना सम्मान मिला,कृष्णा से पहले दुनियाँ ने राधा

का नाम लिखा..यक़ीनन प्रेम का पवित्र नाता ऐसा ही होता है..देखे आज का युग,आज प्रेम का नाता

कैसा होता है..ना यहाँ राधा जैसा प्रेम होता है,होता गर तो कृष्ण उसी का अपना होता..कृष्ण का प्रेम

भी गर सच्चा होता तो वो सिर्फ राधा का ही रहता..प्रेम-धारा पवित्र होती तो रिश्ता कुछ अलग होता...

राधा राधा न हो कर कृष्ण की रूह होती..और कृष्ण राधा की रूह का सच्चा साथी होता...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...