कहता है तो कहता रहे यह जहाँ सारा कि हम गरूर वाले है..खुद मे रहते है मस्त-वयस्त,शब्दों के जाल
बुनते रहते है..ना किसी के लेने मे है ना किसी के देने मे,तो क्या गलत करते है...किसी को कुछ नहीं
कहते,मगर खुद भी अब किसी की ना सुनते है..छोटी सी दुनियाँ है हमारी,उसी मे ज़िंदा और खुश रहते
है..मांगते किसी से कुछ नहीं,बहुत ही स्वाभिमानी है..ग़ल्त करते नहीं तो ग़ल्त सुनते भी नहीं..दिया जिस
ने बहुत गहरा दर्द,पास उस के फिर जाते नहीं..खुद रो लिए खुद फिर से उठ खड़े हुए..इस को गरूर
कहे जहाँ तो बेशक कहता रहे...
बुनते रहते है..ना किसी के लेने मे है ना किसी के देने मे,तो क्या गलत करते है...किसी को कुछ नहीं
कहते,मगर खुद भी अब किसी की ना सुनते है..छोटी सी दुनियाँ है हमारी,उसी मे ज़िंदा और खुश रहते
है..मांगते किसी से कुछ नहीं,बहुत ही स्वाभिमानी है..ग़ल्त करते नहीं तो ग़ल्त सुनते भी नहीं..दिया जिस
ने बहुत गहरा दर्द,पास उस के फिर जाते नहीं..खुद रो लिए खुद फिर से उठ खड़े हुए..इस को गरूर
कहे जहाँ तो बेशक कहता रहे...