Saturday 25 April 2020

इस मौत से खौफ जरा भी नहीं..साँसे जितनी लिखवा कर लाए है,उस की गिनती भी तो पता नहीं...बस

जी चाहता है,खूब लिखे और लिखते जाए..ज़िंदगी की कहानी से शुरू हो कर प्यार-मुहब्बत के लाखों

शब्दों को इन पन्नो पे उतारते जाए...शब्द जो मिटे गे नहीं..मुहब्बत जो आसमां-ज़मी से जाए गी नहीं..

ज़िंदा रह गए तो फिर भी शब्दों को उतारे गे..चले गए तो जहां को अपनी यादों और शब्दों मे बांध जाए

गे...यादों का तोहफा बन कर अपनी ''सरगोशियां'' मे ज़िंदा रह जाए गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...