दुनियाँ जब बनाई आप ने..किस्मत की लकीरें भी लिखी आप ने..किस को किस वक़्त आना है और जाना
है..जो भी लिखा इतनी ख़ामोशी से लिखा कि आप की दुनियाँ के यह मिट्टी के पुतले कुछ समझ नहीं पाए..
जिन को दी साँसे जीने के लिए,जिन को तन दिया मेहनत करने के लिए..जिन को दिमाग दिया सब समझने
के लिए...वही पुतले खुद को दुनियाँ के मालिक समझ बैठे..खिलाफ चले आप के और खुद ही तबाह हो
बैठे...गुजारिश आप से है,बुद्धि इन की सही कर दो..बस जीने के लिए एक मौका सभी को दे दो...
है..जो भी लिखा इतनी ख़ामोशी से लिखा कि आप की दुनियाँ के यह मिट्टी के पुतले कुछ समझ नहीं पाए..
जिन को दी साँसे जीने के लिए,जिन को तन दिया मेहनत करने के लिए..जिन को दिमाग दिया सब समझने
के लिए...वही पुतले खुद को दुनियाँ के मालिक समझ बैठे..खिलाफ चले आप के और खुद ही तबाह हो
बैठे...गुजारिश आप से है,बुद्धि इन की सही कर दो..बस जीने के लिए एक मौका सभी को दे दो...