Sunday 19 April 2020

दुनियाँ जब बनाई आप ने..किस्मत की लकीरें भी लिखी आप ने..किस को किस वक़्त आना है और जाना

है..जो भी लिखा इतनी ख़ामोशी से लिखा कि आप की दुनियाँ के यह मिट्टी के पुतले कुछ समझ नहीं पाए..

जिन को दी साँसे जीने के लिए,जिन को तन दिया मेहनत करने के लिए..जिन को दिमाग दिया सब समझने

के लिए...वही पुतले खुद को दुनियाँ के मालिक समझ बैठे..खिलाफ चले आप के और खुद ही तबाह हो

बैठे...गुजारिश आप से है,बुद्धि इन की सही कर दो..बस जीने के लिए एक मौका सभी को दे दो...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...