Wednesday 29 April 2020

धूल-गर्द जमी है हर तरफ,कितना साफ़ करे..यह ज़मीर इतना मैला है,मुहब्बत की बेशकीमती चादर

से भी धुलता नहीं..हज़ारों शिकवे और मुहब्बत,आवारा बादल की तरह आसमां मे भी घुलती नहीं..

क्यों मशक्क्त करे कि इस को पनाह देने की अब कोई जरुरत भी तो नहीं..किताबों का ज्ञान हो या

ग्रंथो की महिमा,इन के सिवा किसी और की खामो-ख़याली ही नहीं...दौर ज़िंदगी के कभी-कभी यू

ही बदल जाया करते है..यह दिल यह रूह..खुद से मुहब्बत कर के सकून से जी लिया करते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...