आवारा बादल तो नहीं जो कही पे भी बरस जाए गे...नूर है तेरे ही चेहरे का,तुझ पर ही बरस जाए गे...
बरस कर खाली-खाली क्यों होना,इम्तिहान के दिन तो अब आए गे...गर्म हवाएं होगी मगर हम कही
भी नज़र ना आए गे..पुकार तेरी सुन कर,मन हुआ तो झलक एक अपनी दिखला जाए गे...थम-थम के
बरसना भी क्या बरसना है...हम तो वो बादल है जो बिना छाए आसमाँ पे..अपनी मर्ज़ी के मालिक है..
आवारा नहीं मगर कही भी बरस जाए, पर अपनी बात के धनी है...
बरस कर खाली-खाली क्यों होना,इम्तिहान के दिन तो अब आए गे...गर्म हवाएं होगी मगर हम कही
भी नज़र ना आए गे..पुकार तेरी सुन कर,मन हुआ तो झलक एक अपनी दिखला जाए गे...थम-थम के
बरसना भी क्या बरसना है...हम तो वो बादल है जो बिना छाए आसमाँ पे..अपनी मर्ज़ी के मालिक है..
आवारा नहीं मगर कही भी बरस जाए, पर अपनी बात के धनी है...