Friday 17 April 2020

आवारा बादल तो नहीं जो कही पे भी बरस जाए गे...नूर है तेरे ही चेहरे का,तुझ पर ही बरस जाए गे...

बरस कर खाली-खाली क्यों होना,इम्तिहान के दिन तो अब आए गे...गर्म हवाएं होगी मगर हम कही

भी नज़र ना आए गे..पुकार तेरी सुन कर,मन हुआ तो झलक एक अपनी दिखला जाए गे...थम-थम के

बरसना भी क्या बरसना है...हम तो वो बादल है जो बिना छाए आसमाँ पे..अपनी मर्ज़ी के मालिक है..

आवारा नहीं मगर कही भी बरस जाए, पर अपनी बात के धनी है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...