Wednesday 1 April 2020

झांझर सुना चुकी अपना आदेश..कंगना सुना रहे अपनी दास्तान..करधनी को कोई लेना-देना नहीं रहा,

अब कोई सी सुबह और कौन सी शाम..पायल अब बक्से मे बंद है..कानो ने सुना और अनसुना कर दिया..

यह तो दुनियाँ की रीत है,दिलो से खेलना..जज्बातों को रौंदना..रूह ने कहाँ,जो मैंने कह दिया वो अब

दुबारा ना दोहराना है..दिल जो अब किसी की सुनता ही नहीं..ज़मीर जो लिख के दुबारा कुछ मिटाता ही

नहीं..इन साँसों को मंजूरी किसी से लेनी नहीं..आज़ाद है अपने हर फैसले के लिए......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...