कभी दिल किसी का दुखा दिया,कभी ज़मीर किसी का बुरी तरह रुला दिया..कभी ईमानदारी को
झुठला दिया तो कभी दाग़ खुद पे लगा लिया...असली चेहरा छुपा लिया और नकली मुखौटा दिखा
दिया...सब कर के भगवान् के मंदिर मे दीपक जला दिया...आराधना की पूजा के थाल मे और दूर
किसी को ज़ार-ज़ार रुला दिया...किसी की जलती हुई आँखों का धुआँ,क्या इस पूजा को सफल कर
पाए गा..जानते है सिर्फ और सिर्फ इतना,ना दुखा दिल किसी का,ना रुला किसी का ज़मीर इतना..फिर
चाहे मंदिर मे दीप जला या ना जला..किसी को ख़ुशी दे सके सच्ची तो फिर इतने आडम्बर की जरुरत
ही क्या...
झुठला दिया तो कभी दाग़ खुद पे लगा लिया...असली चेहरा छुपा लिया और नकली मुखौटा दिखा
दिया...सब कर के भगवान् के मंदिर मे दीपक जला दिया...आराधना की पूजा के थाल मे और दूर
किसी को ज़ार-ज़ार रुला दिया...किसी की जलती हुई आँखों का धुआँ,क्या इस पूजा को सफल कर
पाए गा..जानते है सिर्फ और सिर्फ इतना,ना दुखा दिल किसी का,ना रुला किसी का ज़मीर इतना..फिर
चाहे मंदिर मे दीप जला या ना जला..किसी को ख़ुशी दे सके सच्ची तो फिर इतने आडम्बर की जरुरत
ही क्या...