आसमाँ साफ़ हो जा पहले की तरह,दुनियाँ सांस ले ले पहले की तरह...बहुत हुआ तेरा कहर,अब तो
खुल के इतना बरस..निश्छल हो जाए हवा सारी,मुस्कुराए फिर से साँसे सारी...गुनाह इन का माफ़ कर,
तेरी मर्ज़ी के बिना तो मालिक इक पत्ता भी नहीं हिलता..फिर इन हवाओं का खौफ कम कैसे होगा..
इंतज़ार और सिर्फ इंतज़ार तेरी रहमत का है ...रख दे अपना हाथ सर पे सभी के,झुक रहे हम सभी
की सलामती के लिए...
खुल के इतना बरस..निश्छल हो जाए हवा सारी,मुस्कुराए फिर से साँसे सारी...गुनाह इन का माफ़ कर,
तेरी मर्ज़ी के बिना तो मालिक इक पत्ता भी नहीं हिलता..फिर इन हवाओं का खौफ कम कैसे होगा..
इंतज़ार और सिर्फ इंतज़ार तेरी रहमत का है ...रख दे अपना हाथ सर पे सभी के,झुक रहे हम सभी
की सलामती के लिए...