Thursday 16 April 2020

पलक के मोती पलक पे ही ठहरा दिए...क्या पता कल तू फिर से कोई और नमी इन को दे जाए...यह

नैना बिन काजल रहे गे तब तक,जब तल्क़ तू इन मे हमेशा की ख़ुशी ना भर जाए..आसमान को देखे

तो समझ आता है,यह बरसों से अंधेरो-उजालों मे रहता है...समंदर की सतह क्या जाने कि यह पल-पल

रंग बदलता है...रहना है तो रह पावन नदिया की तरह जिस का नीर मैला कभी ना होता है...हज़ारो

चट्टान भले टकराती रहे,उस को किसी से कोई वास्ता ना रखना होता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...