सुन तो ज़रा..यह मुहब्बत के बग़ीचे यह पनाहो के गलीचे..वो सुबह की नर्म धूप,वो ओस का कोमल
पत्तों से लिपटना..कमलनाल सी बाहें और मृगनैना,खुले गेसू और चेहरे पे तेरे नाम का लिखा होना...
क्यों सर से पाँव तक तेरी ही नज़र की तलाश रहना...बेखुदी मे तुझ को बार-बार पुकार लेना...यह
कोई अदा नहीं बस प्यार की तहजीब और तहरीर है..कहा समझ आए गी तुझे बातें मेरी,हम जादूगर
है अपने शहर के..जो सब कुछ भुला कर भी याद करवाना जानते है...
पत्तों से लिपटना..कमलनाल सी बाहें और मृगनैना,खुले गेसू और चेहरे पे तेरे नाम का लिखा होना...
क्यों सर से पाँव तक तेरी ही नज़र की तलाश रहना...बेखुदी मे तुझ को बार-बार पुकार लेना...यह
कोई अदा नहीं बस प्यार की तहजीब और तहरीर है..कहा समझ आए गी तुझे बातें मेरी,हम जादूगर
है अपने शहर के..जो सब कुछ भुला कर भी याद करवाना जानते है...