सफर इस ज़िंदगी का खूबसूरत रहा या दर्द की छाया से बंधा रहा...और जो सफर अब चल रहा है,
उस की अहमियत का वज़ूद क्या है...ज़िंदगियां सभी की कभी खूबसूरत होती है तो कभी दर्द की छाया
मे भी लिपटी होती है..हम ने कुछ अलग किया...ज़िंदगी को मुहब्बत दी मगर इस को शिकस्त देने के
लिए खुद से बेइंतिहा मुहब्बत भी की...कभी भीगे नैना तो साथ मे इन लबों को मुस्कुराने की खास वजह
भी दी...मुसीबतों ने सर उठाया तो दिन भर हंस कर बिताया और रात को तकिया खुल कर भिगो दिया...
अब क्या गलत किया..डर कर जीते जीते एक दिन बहादुरी का लबादा ओढ़ लिया..और सारी दुनिया को
अपने तरीके से जीना सिखा दिया..
उस की अहमियत का वज़ूद क्या है...ज़िंदगियां सभी की कभी खूबसूरत होती है तो कभी दर्द की छाया
मे भी लिपटी होती है..हम ने कुछ अलग किया...ज़िंदगी को मुहब्बत दी मगर इस को शिकस्त देने के
लिए खुद से बेइंतिहा मुहब्बत भी की...कभी भीगे नैना तो साथ मे इन लबों को मुस्कुराने की खास वजह
भी दी...मुसीबतों ने सर उठाया तो दिन भर हंस कर बिताया और रात को तकिया खुल कर भिगो दिया...
अब क्या गलत किया..डर कर जीते जीते एक दिन बहादुरी का लबादा ओढ़ लिया..और सारी दुनिया को
अपने तरीके से जीना सिखा दिया..