बगीचे मे खिले है फूल हज़ारो...मगर हर फूल गुलाब हो,हरगिज़ नहीं...पर जो गुलाब खुद मे इक गुलाब
से जयदा इक हिज़ाब हो..उस की क्या बात हो..हर फूल को गुलाब समझ कर उस गुलाब की तौहीन ना
कर..जो धरा पे खिला सिर्फ महकाने के लिए,उस की खुशबू का एहसास तो कर...नाज़ुक है खुद से भी
जयदा,हाथ से छू कर उस को मैला ना कर...यह पखुड़िया कितनी पाक है,जानने के लिए जज्बा अपना
बहुत खास रख...तागीद बार-बार वही,हर फूल गुलाब नहीं....गुलाब नहीं...
से जयदा इक हिज़ाब हो..उस की क्या बात हो..हर फूल को गुलाब समझ कर उस गुलाब की तौहीन ना
कर..जो धरा पे खिला सिर्फ महकाने के लिए,उस की खुशबू का एहसास तो कर...नाज़ुक है खुद से भी
जयदा,हाथ से छू कर उस को मैला ना कर...यह पखुड़िया कितनी पाक है,जानने के लिए जज्बा अपना
बहुत खास रख...तागीद बार-बार वही,हर फूल गुलाब नहीं....गुलाब नहीं...