Thursday 2 April 2020

यह सुबह की धूप क्यों चुभने लगी है आज...शिकन आ रही है क्यों इस चेहरे पे आज...कुछ तो होने वाला

है आज...या तो आज सूरज की तपिश ज्यादा से कुछ और ज्यादा होगी..या फिर सितारों के झुरमुट मे

रहने वाले चाँद को रोने की जरुरत और ज्यादा होगी..अब यह तो रूह की आवाज़ है..इस को कौन रोक

सकता है..जब हम से यह कलम नहीं रूकती तो चाँद-सूरज की क्या बिसात है..पटक दे दोनों को इसी

धरा पे,क्यों मर्ज़ी हमारी यह चाहती है आज...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...