Monday 20 April 2020

लिखने पे जो आए इस मासूम मुहब्बत पे,तो पन्ने खत्म हो जाए गे..इस के हर रूप-रंग को जो सजाए

गे इन पन्नो पे, तो पन्ने बेहद खूबसूरत हो जाए गे...यह शै है ही दिल-रूह के करीब इतनी,कोई बचना भी

चाहे तो इस के लफ्ज़ो को कैसे नकार पाए गे...भरे गे इस की इबादत का जज्बा इन पन्नो पे इतना कि

गलत सोच से दुनियाँ को उबार कर ही दम ले गे..मुहब्बत को समझने के लिए दिल का मासूम होना,उस

का पाकीज़गी से भरा होना मायने रखता है..हम जो लिखे लफ्ज़ और दिल सभी पाकीज़गी से ना भरे,

यह भला कैसे हो सकता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...