दो लफ्ज़ कहे और चल दिए...अँधेरे के झुरमुट मे जल्दी से ग़ुम हो गए..अभी तो सितारों से भरी रात
ने जन्म लिया है..अभी तो चाँद भी इन से मिलने नहीं आया है...यह अँधेरा क्यों गहरा होने से पहले डस
रहा है हमें..इस अँधेरे से डर कभी लगता नहीं..मगर आज इस का इंतज़ार क्यों हो रहा है हमें...जी है
इन अँधेरी राहों पे निकल जाए और तुझे ढूंढ लाए...वो दो लफ्ज़ जो रह गए अधूरे उन को पूरा कर जाए..
ने जन्म लिया है..अभी तो चाँद भी इन से मिलने नहीं आया है...यह अँधेरा क्यों गहरा होने से पहले डस
रहा है हमें..इस अँधेरे से डर कभी लगता नहीं..मगर आज इस का इंतज़ार क्यों हो रहा है हमें...जी है
इन अँधेरी राहों पे निकल जाए और तुझे ढूंढ लाए...वो दो लफ्ज़ जो रह गए अधूरे उन को पूरा कर जाए..