Wednesday 29 April 2020

कहर तो धरती के हर कोने हर कण मे है..इन साँसों की मोहलत किसी की कितनी और कब तक है...

किसी भी पल को निकाल दे हिम्मत को साथ रख कर...जज्बा जीने का ख़तम ना होने पाए..दिन को

विदा दी एतिहात से और अब रात को कह रहे है अलविदा बेहद प्यार से..हाथ की इन लकीरों का क्या

भरोसा,फिर भी दोस्तों कहते है सभी से...ज़िंदगी सब की सलामत रहे..साँसों का महकना कायम रहे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...