कहर तो धरती के हर कोने हर कण मे है..इन साँसों की मोहलत किसी की कितनी और कब तक है...
किसी भी पल को निकाल दे हिम्मत को साथ रख कर...जज्बा जीने का ख़तम ना होने पाए..दिन को
विदा दी एतिहात से और अब रात को कह रहे है अलविदा बेहद प्यार से..हाथ की इन लकीरों का क्या
भरोसा,फिर भी दोस्तों कहते है सभी से...ज़िंदगी सब की सलामत रहे..साँसों का महकना कायम रहे....
किसी भी पल को निकाल दे हिम्मत को साथ रख कर...जज्बा जीने का ख़तम ना होने पाए..दिन को
विदा दी एतिहात से और अब रात को कह रहे है अलविदा बेहद प्यार से..हाथ की इन लकीरों का क्या
भरोसा,फिर भी दोस्तों कहते है सभी से...ज़िंदगी सब की सलामत रहे..साँसों का महकना कायम रहे....