Tuesday, 21 April 2020

यह ढलती शाम की हवा तेरे आने का सन्देश क्यों दे रही है..यह जान कर,अब रात अपने शबाब पे

आने को है,शाम की हवा का सन्देश क्यों दिल पे भारी है..उम्मीदों के चिराग नहीं बुझाए गे,दिए की

लो पूरी रात जलाए गे..चाँद पूरा खिला है आसमां मे आज..उसी को देख कर रात गुजार दे गे आज..

ज़िद किस बात की,हवा झूठ भी बता सकती है..संदेसा कभी-कभी गलत भी बता सकती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...