मुहब्बत का नशा...प्रेम की दीवानगी का वज़ूद..ख़त्म ना हो जाए...हम ने इन पन्नो पे फिर से मुहब्बत को
बिखेरा है..नफ़रत कही मुहब्बत से आगे ना निकल जाए,हम ने परिशुद्ध प्रेम को अपने इन पन्नो की
दहलीज़ पे उतारा है..दुनियाँ भी तो जाने कि मुहब्बत तो चट्टानों को भी पिघला देती है,शर्त उस के पाक
होने की है..नफ़रत का क्या है,यह तो हल्की सी खलिश हो तो खुल के चली आती है..गुजारिश भी है और
तागीद भी,मुहब्बत,प्रेम,प्यार का जज़्बा दफ़न ना होने देना..जितने सितारे है आसमां मे,उसी हद तक इस
को बिखेरते रहना..कभी नफ़रत का लावा बहने पे उतर आए तो मुहब्बत का जज़्बा जीत नफ़रत की
होने ना दे...
बिखेरा है..नफ़रत कही मुहब्बत से आगे ना निकल जाए,हम ने परिशुद्ध प्रेम को अपने इन पन्नो की
दहलीज़ पे उतारा है..दुनियाँ भी तो जाने कि मुहब्बत तो चट्टानों को भी पिघला देती है,शर्त उस के पाक
होने की है..नफ़रत का क्या है,यह तो हल्की सी खलिश हो तो खुल के चली आती है..गुजारिश भी है और
तागीद भी,मुहब्बत,प्रेम,प्यार का जज़्बा दफ़न ना होने देना..जितने सितारे है आसमां मे,उसी हद तक इस
को बिखेरते रहना..कभी नफ़रत का लावा बहने पे उतर आए तो मुहब्बत का जज़्बा जीत नफ़रत की
होने ना दे...