कुदरत करती आई है करिश्मे,फिर आज क्यों मन भारी करते हो..जब साथ-साथ सारे है तो गम क्यों
करते हो..दूर-दूर है मगर दुआ तो एक है..हाथ जहा जुड़ते है वो मालिक भी तो सब का एक है...
इम्तिहान की घड़ी इम्तिहान देने के लिए ही तो आती है..पास होना है तो मेहनत भी करनी होगी..डर
के साँसे मत लेना सारे,कुदरत इतनी आसानी से सब कुछ माफ़ नहीं करती है..जरूर किए होंगे कर्म
ऐसे जो सज़ा के तौर पे हमारे सामने आए है..झुक जाना उस के आगे,गुनाह माफ़ किए भी जाते है..आओ
मिल-जल के कहे दाता से...नई आभा बिखेरो संसार मे..आखिर हम सब आप के ही बच्चे है...
करते हो..दूर-दूर है मगर दुआ तो एक है..हाथ जहा जुड़ते है वो मालिक भी तो सब का एक है...
इम्तिहान की घड़ी इम्तिहान देने के लिए ही तो आती है..पास होना है तो मेहनत भी करनी होगी..डर
के साँसे मत लेना सारे,कुदरत इतनी आसानी से सब कुछ माफ़ नहीं करती है..जरूर किए होंगे कर्म
ऐसे जो सज़ा के तौर पे हमारे सामने आए है..झुक जाना उस के आगे,गुनाह माफ़ किए भी जाते है..आओ
मिल-जल के कहे दाता से...नई आभा बिखेरो संसार मे..आखिर हम सब आप के ही बच्चे है...