दिन महीने साल..निकल जाते है यू ही तो फिर अब इन दिनों के गुजरने से परेशानी क्यों...कुछ मुलाकात
कीजिए ना खुद से,शायद खुद की कमियां कभी देखी ही ना हो..कहर ज़िंदगी के यू ही आते-जाते रहे गे..
मुशकिलात जब सर से ऊपर गुजरने लगे तो दामन उसी का थाम लीजिए ना..यहाँ कौन किस के साथ
दूर तक चलता है..बीच राह मे जब कोई भी किसी को दगा दे जाता है..तो फिर यह तो कहर कुदरत का
है,जो सिर्फ सही सबक सिखाने ही आता है..इंसान नहीं जो धोखा ही धोखा देता है...
कीजिए ना खुद से,शायद खुद की कमियां कभी देखी ही ना हो..कहर ज़िंदगी के यू ही आते-जाते रहे गे..
मुशकिलात जब सर से ऊपर गुजरने लगे तो दामन उसी का थाम लीजिए ना..यहाँ कौन किस के साथ
दूर तक चलता है..बीच राह मे जब कोई भी किसी को दगा दे जाता है..तो फिर यह तो कहर कुदरत का
है,जो सिर्फ सही सबक सिखाने ही आता है..इंसान नहीं जो धोखा ही धोखा देता है...