Thursday 30 April 2020

दिन महीने साल..निकल जाते है यू ही तो फिर अब इन दिनों के गुजरने से परेशानी क्यों...कुछ मुलाकात

कीजिए ना खुद से,शायद खुद की कमियां कभी देखी ही ना हो..कहर ज़िंदगी के यू ही आते-जाते रहे गे..

मुशकिलात जब सर से ऊपर गुजरने लगे तो दामन उसी का थाम लीजिए ना..यहाँ कौन किस के साथ

दूर तक चलता है..बीच राह मे जब कोई भी किसी को दगा दे जाता है..तो फिर यह तो कहर कुदरत का

है,जो सिर्फ सही सबक सिखाने ही आता है..इंसान नहीं जो धोखा ही धोखा देता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...