Saturday 25 April 2020

तेरी ही राधा बन क्यों आसमां मे उड़ती रही...पीर मन मे भरी रही पर मीरा बन सहती रही..कभी लगा

सीता की तरह तुझी से दूर हो कर हर धर्म निभा जाऊ..तेरे ही दिल मे बसी,तेरी ही तस्वीर बन तुझे पल

पल लुभाऊ.. भोले भंडारी की गौरी बन,तेरे विष की धारा को खुद मे समा लू...रूप हज़ारो धरु,फिर भी

तेरे अंतर्मन की छवि कहलाऊ...तन वारु मन वारु..और रूह के महीन धागे तेरी इबादत करने के लिए

तेरे ही चरणों मे बांध दू...तेरी ही नज़रो मे बसी रहू,भले मुख से कुछ भी ना कहू....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...