ना बांध के रख मुझ को रूह से अपनी कि मैं इस दुनियाँ मे ज़ी ही ना पाऊ...मुहब्बते-दास्तान का वो
पहला दिन और तेरी हंसी का आगाज़ हुआ मुझे पहली ही बार...वो होंठ जो कभी मुस्कुराते तक ना थे..
वो अपनी लक्षमण-रेखा को तोड़ गए कैसे...दाद दीजिए हमारी वफाए-मुहब्बत को कि आप को हंसना
तो क्या,बेखौफ जीना तक सिखा दिया...मुस्कुराते है अकेले मे..वल्लाह...इक मरे हुए इंसान को हम ने
जीना सिखा दिया..बात-बात पे जो सब से उलझ जाए,उस को तहजीब का पाठ सही से सिखा दिया...