Sunday, 21 February 2021

 जनून..जनून..जनून...यह जनून ही तो है जो हम को रातों को नींद से उठा देता है...कलम को हाथ मे 


दे कर,हमी से शब्द लिखवाता है..थकने की नौबत ना आ पाए,स्याही-दवात साथ मे रख देता है..पन्ने 


भी हमारे इस जनून को बहुत अच्छे से जानते-समझते है..बरकत की सौगात लिए संग-संग हमारे चलते 


है..सफर के इस दौर मे,साथी-दोस्त इतने जुड़े..हम दिल से उन के धन्यवादी हुए..वादा सभी से किया..


मंज़िल को हासिल कर के ही दम ले गे..बीच राह अपनी ताकत को ना छोड़े गे..''सरगोशियां''आप सभी 


की है,इतना अभिमान आप सभी को दे कर हम मंज़िल तक यक़ीनन  पहुंचे गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...