नतमस्तक हो जाए गे..तेरे दर की एक और सीढ़ी जो चढ़ी तो कायल तेरे हो जाए गे...बेहिसाब बेपनाह
बातें करना...रेलगाड़ी की पटरी की तरह दौड़ते रहना...भूल गया,तू एक मुसाफिर है...किसी रोज़ रुकना
होगा...क़दमों की चाप धीमे रख,वक़्त की चाल देख कर चल...ज़िंदगी का कोई भी पथ आसान नहीं..फिर
बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ना,ज़िंदगी शायद इस का नाम नहीं...खुद ही इस चाल को धीमा कर ले,खुद
को मेरे रंग मे रंग ले...हां,इसीलिए तो कहते है,नतमस्तक हो जाए गे...और खुद को मेरे रंग मे रंग ले...