Wednesday 17 February 2021

 नतमस्तक हो जाए गे..तेरे दर की एक और सीढ़ी जो चढ़ी तो कायल तेरे हो जाए गे...बेहिसाब बेपनाह 


बातें करना...रेलगाड़ी की पटरी की तरह दौड़ते रहना...भूल गया,तू एक मुसाफिर है...किसी रोज़ रुकना 


होगा...क़दमों की चाप धीमे रख,वक़्त की चाल देख कर चल...ज़िंदगी का कोई भी पथ आसान नहीं..फिर 


बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ना,ज़िंदगी शायद इस का नाम नहीं...खुद ही इस चाल को धीमा कर ले,खुद 


को मेरे रंग मे रंग ले...हां,इसीलिए तो कहते है,नतमस्तक हो जाए गे...और खुद को मेरे रंग मे रंग ले...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...