Wednesday 10 February 2021

 प्रेम...की महिमा को उस ने इस रूप मे लिया..पहले देखी प्रियतम की ख़ुशी,फिर बाद मे जान लुटा दी 


अपनी....कदम से कदम मिलाए उस से और संगनी कहलाई उस की ...कितने दोष से उस के अंदर पर वो 


कभी ना घबराई थी ..गर होगी ताकत प्रेम मे मेरे तो वो सब दोषों-गलतियों से सीख जाए गा..ढाई अक्षर प्रेम  


के बदले ढाई करोड़ जज्बातों को उस ने उस पे वार दिया...जितना वारा,उतनी तपी प्रेम मे उस के...संसार 


सारा त्याग दिया...ना वो थी मीरा,ना राधा थी,ना आसमा से उतरी थी..वो तो बस प्रेम की गहरी मूरत थी..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...