Friday 12 February 2021

 ना पूछिए हम से,हम किस मोड़ पे है...ना पूछिए हम से,हम किस राह पे है...क्यों कह रही है यह फ़िज़ाए 


जीने के दिन तो अब आए है..क्यों बुला रही है यह वादियां कि अभी तो ख़ुशी के दिन आए है..यह चुनरी 


है तो मलमल की पर क्यों लगता है,यह महकी है किसी पाक दुआ से..कौन जाने कब कोई हम पर अपनी 


दुआए बिखरा गया..शायद यह माँ ही होगी जिस की दुआ ने हम को खूबसूरत रास्ते पे बहुत सलीके से 


चलाना सिखा दिया..शायद यह मेरे बाबा ही होंगे जिन की अंगुली ने फिर मेरा हाथ चुपके से थाम लिया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...