डूब कर तेरे ही प्रेम के आंगन मे..बेनाम सा रिश्ता अपने आँचल से बांध लिया...राहें तो बंद है हर और
से मगर इन दिलों की राहें तो हर तरफ ही खुली है...दर्द देती है जब भी तन्हाई तो कोई मधुर धुन दूर
से सुनाई देती है..खामोशियाँ बोल उठती है और उसी ख़ामोशी मे आवाज़ तेरी ही सुनाई देती है...प्रेम-राग
ही सुन,दुनियाँ की कोई बात ना सुन..ढाप ले अपना चेहरा अपनी हथेलियों से और मुझे धीमे से सुन..गीत
वही सुनाई दे गा तुझे जो तूने हमेशा मेरे ही साथ दोहराया है..बस,प्रेम का रंग उन्हीं सुरों मे ढला मेरा-तेरा
अंश है...