Sunday 21 February 2021

 यह गुलाबी फूल और बेख्याली मे तुझे यू ही छू लेना...लबों का थरथराना मगर तुझ से कुछ बता ना पाना...


यह फूल, रंग गुलाबी से क्यों चमकीले इतने हो गए...शायद तुझे मेरी बात बिन कहे समझ आ जाए,


इसलिए शोख चमक से यह भी तुझी पे क़ुरबान हो गए...पत्थर है तू,पाषाण है तू...मगर इन फूलों की 


तरह हम तो तेरे प्यार मे नाज़ुक़-नाज़ुक़ से हो गए..चलते है तो यह हमारी राह मे बिछ-बिछ जाते है..


तेरी तरह पत्थर नहीं,यह तो हमारे नाज़ भी उठाते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...