Monday, 22 February 2021

 मिज़ाज़ मौसम का आज बहुत गर्म सा है..रेगिस्तान की रेत की तरह उड़ता-उड़ता सा है..यह क्या,देख 


हमें रेत का ग़ुबार हमी और चला आया...गुस्सा हम को भी आया...समझ गए,तेरे गर्म मिज़ाज़ का असर 


यहाँ तक भी आया..सूरज की ताप को इक हल्का सा इशारा हम ने ऐसा दिया..रेत की धूल का रुख तेरे 


ही शहर मोड़ दिया...अब बारी तेरे सुलगने और जलने की है..समझ जरा,यह मौसम और सूरज का ताप 


कभी-कभी तेरी सुन लेता है..वरना यह तो हमेशा हमारे इशारो पे ही चला करता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...