Thursday 4 February 2021

 कितना गरूर इस चाँद मे देखा...मुझे तो रोज़ चमकना है रात भर,इतना तुनकमिज़ाज देखा...चांदनी 


मेरे बगैर क्या कर पाए गी,इतना विश्वास खुद के गरूर पे देखा...चांदनी तो है बस चांदनी...प्यार से 


बादलों को इस गरूर का बताया..चाँद छुपा दिया बादलों की गहरी चादर मे और चाँद.....कुछ भी ना 


कर पाया...टूटा गरूर और चांदनी का महत्व समझ आया..तेरे बिना मेरा गुजारा नहीं,सीधा सही राह पे 


आया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...