Sunday 21 February 2021

 कितने ही सुनहरे परदों मे छुप जाओ..हमारी नज़रो से कैसे बच पाओ गे..तुम सलामत हो,यह पता है हम 


को...नादानी का मुखौटा कब तक पहन पाओ गे...लगे गा तीर जब तेरे दिल के आर-पार,मेरी यादों का..


तो लाखों परदों से खुद ही बाहर आओ गे...गुस्ताखी माफ़ यारा,खुद के दिल को बीमार होने से,मुझ से 


कैसे छुपा पाओ गे...धक्-धक् चलती यह धड़कनें तेरी,मेरे ही नाम की है...तो मेरा नाम लेना कैसे भूल 


पाओ गे...कोशिश ना करना यारा मेरे..बेमौत ही मारे जाओ गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...