कितने ही सुनहरे परदों मे छुप जाओ..हमारी नज़रो से कैसे बच पाओ गे..तुम सलामत हो,यह पता है हम
को...नादानी का मुखौटा कब तक पहन पाओ गे...लगे गा तीर जब तेरे दिल के आर-पार,मेरी यादों का..
तो लाखों परदों से खुद ही बाहर आओ गे...गुस्ताखी माफ़ यारा,खुद के दिल को बीमार होने से,मुझ से
कैसे छुपा पाओ गे...धक्-धक् चलती यह धड़कनें तेरी,मेरे ही नाम की है...तो मेरा नाम लेना कैसे भूल
पाओ गे...कोशिश ना करना यारा मेरे..बेमौत ही मारे जाओ गे...