रोए रात भर तुझे याद कर के इतना..फिर आप के शहर मे बारिश का पानी क्यों बरसा इतना...पूछा उन्हों ने
हम से सिर्फ इतना ''क्या मेरी याद कल बहुत आई थी ''..मुँह से हमारे बेसाख्ता निकला '' आप का दिल
तो पत्थर से भी पत्थर है,तभी तो यहाँ बारिश नहीं..गहरी तेज़ धूप का मेला है,आप के गुस्से की तरह...
मुस्कुराना तक आप को आता नहीं...जीवन की दौड़ मे चलना तक आता नहीं ''...बोले गहरी सांस ले कर
वो, ''इतने अनाड़ी है,सर्द दिल है..तभी तो प्यार पाने आप के पास आए है..आप के रो देने से हमारा शहर
पानी-पानी हो जाता है..गर हंस दे गे तो हम तो सातवें आसमां को ही छू जाए गे '' .....