Friday 19 February 2021

 रोए रात भर तुझे याद कर के इतना..फिर आप के शहर मे बारिश का पानी क्यों बरसा इतना...पूछा उन्हों ने 


हम से सिर्फ इतना ''क्या मेरी याद कल बहुत आई थी ''..मुँह से हमारे बेसाख्ता निकला '' आप का दिल 


तो पत्थर से भी पत्थर है,तभी तो यहाँ बारिश नहीं..गहरी तेज़ धूप का मेला है,आप के गुस्से की तरह...


मुस्कुराना तक आप को आता नहीं...जीवन की दौड़ मे चलना तक आता नहीं ''...बोले गहरी सांस ले कर 


वो, ''इतने अनाड़ी है,सर्द दिल है..तभी तो प्यार पाने आप के पास आए है..आप के रो देने से हमारा शहर 


पानी-पानी हो जाता है..गर हंस दे गे तो हम तो सातवें आसमां को ही छू जाए गे '' .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...