बेहद नज़ाकत से वो बोले हम से..''ना बांध के रखिए अपने पल्लू से हम को..किसी काम के ना रह पाए
है..दुनियाँ पुकारती है हम को आप के दीवाने के नाम से,कुछ तो रहम कर दीजिए हम पे''...दबाया पल्लू
हम ने होठों मे अपने और मुस्कुरा दिए अदा पे इन की..वल्लाह क्या बात है,क्या हम देख रहे है उसी
शख़्स को जो हम को देख कर मुस्कुराता तक नहीं..दिल मे छिपाए इस एहसास को,बोले उन से..''जनाब
हम ने आप को पल्लू से नहीं अपनी रूह के तारों से बाँधा है..कह दीजिए दुनियाँ वालों से,हमारी रूह के
दीवाने है आप..जो नशा सदियों तक ना उतरे,उस से भी जयदा नशीले है हमारे एहसास''....