बार बार यू रोए गे तो जीवन को कैसे जी पाए गे..बस यह सोच कर जज्बातों के समंदर से बाहर निकल
आए..यह जज़्बात भी क़यामत है..ना तो इंसान को फरिश्ता बना पाते है और ना ज़िंदा ही रहने देते है...
खोखला करते है दिमाग और दिल को राख़ कर देते है..बहुत सोच कर इन को खुद के दिल से जुदा कर
दिया...अब दिल है हल्का और दिमाग..वो तो माशाअल्लाह मस्ती मे चूर है..लगता है अब तो बैरागी हो
गए है हम..जीना भी आसान हो गया है इतना..पांव थिरक रहे है खुद की ही धुन पे और आसमां तो जैसे
सज़दा कर रहा है हम को इतना...