खता इतनी भी कर कि तुझे माफ़ भी ना कर सके...ज़िंदगी के जिस कगार पे है वहां से ज़िंदगी दुबारा
नहीं मिलती...बहुत मन्नतों से ज़िंदगी को समझ पाए है...नाराज़ क्यों करे इस को कि इस के हर फैसले
हमारे बड़े काम आए है...यह जब भी थिरकती है,हम भी ख़ुशी से झूम जाते है...यह देती है दर्द तो हम
भी ग़मगीन हो जाते है...इस के साथ बेहद प्यार से चलते है...खता की सोचते भी नहीं कि इस के बिना
गुजारा हमारा इक पल भी तो नहीं...तूने शायद इस ज़िंदगी को ठीक से समझा -जाना नहीं..यह बेबाक
और बिंदास है हमारी तरह जो दिल मे खलिश भी रखती तक नहीं...